परमेश्वर के कथन "परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है" (भाग दो)
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "कार्य के तीनों चरण परमेश्वर के प्रबंधन का मुख्य केन्द्र हैं और उनमें परमेश्वर का स्वभाव और वह क्या है व्यक्त होते हैं। जो परमेश्वर के कार्य के तीनों चरणों के बारे में नहीं जानते हैं वे यह जानने में अक्षम हैं कि परमेश्वर कैसे अपने स्वभाव को व्यक्त करता है, न ही वे परमेश्वर के कार्य की बुद्धि को जानते हैं, और वे उन कई मार्गों जिनके माध्यम से वह मानवजाति को बचाता है, और सम्पूर्ण मानवजाति के लिए उसकी इच्छा से अनभिज्ञ रहता है। कार्य के तीनों चरण मानवजाति को बचाने के कार्य की पूर्ण अभिव्यक्ति हैं। जो लोग कार्य के तीन चरणों के बारे में नहीं जानते हैं वे पवित्र आत्मा के कार्य के विभिन्न तरीकों और सिद्धान्तों से अनभिज्ञ होंगे; जो लोग केवल सख्ती से उन सिद्धांत से चिपके रहते हैं जो कार्य के एक चरण से शेष रहता है ये वे लोग हैं जो परमेश्वर को सिद्धांत तक सीमित कर देते हैं, और परमेश्वर में उनका विश्वास अस्पष्ट और अनिश्चित होता है। ऐसे लोग परमेश्वर के उद्धार को कभी भी प्राप्त नहीं करेंगे।"
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