पूर्णता प्राप्त करने के लिए परमेश्वर की इच्छा के प्रति सचेत रहो

जितना अधिक तू परमेश्वर की इच्छा के प्रति सचेत रहेगा, तेरा बोझ उतना अधिक हो जाएगा। तेरा बोझ जितना ज्यादा होगा, उतना तेरा अनुभव ज्यादा होगा। जब तू परमेश्वर की इच्छा के प्रति सचेत होता है, परमेश्वर इस बोझ को तुझे देगा, और तू परमेश्वर द्वारा उन बातों पर प्रबुद्ध किया जाएगा, जो उसने तुझे सौंपा है। परमेश्वर द्वारा यह बोझ तुझे दिए जाने के बाद, तुझे परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते समय इस पहलु की सच्चाईयों पर ध्यान देना होगा। यदि तेरे ऊपर भाइयों और बहनों की जीवन दशा से जुड़ा बोझ है तो यह बोझ परमेश्वर ने तुझे सौंपा है, तब तेरी प्रतिदिन की प्रार्थना में भी यह बोझ हमेशा रहेगा। परमेश्वर जो करता ह वह तुझे सौंपा गया है, जिसे परमेश्वर करना चाहता है, उसे आगे ले जाने के लिए तू इच्छुक होगा, और यही अर्थ है परमेश्वर के बोझ को अपना बोझ समझना। इस बिंदु पर, तेरा परमेश्वर के वचन को खाना और पीना इन बातों के पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित करेगा, और तू सोचेगा: मैं कैसे इन बातों को हल करूंगा? कैसे मैं भाइयों और बहनों को उनकी आत्मा में आनंद प्राप्त करने के लिए, स्वतंत्र होने दूंगा। जब तू संगति में होगा तू इन मुद्दों को हल करने में ध्यान केन्द्रित करेगा, जब तू परमेश्वर के वचनों को खा और पी रहा होगा, तब तू इन समस्याओं से संबंधित वचनों को खाने और पीने पर ध्यान केंद्रित करेगा, तू इस बोझ को ढोते समय परमेश्वर के वचनों को खाएगा और पीएगा, और तू परमेश्वर की अपेक्षाओं को समझेगा। इस बिंदु पर, तू मार्ग पर चलने के बारे में स्पष्ट हो जाएगा। तेरे बोझ के बारे में पवित्र आत्मा द्वारा यह प्रबुद्धता और रोशनी लाई गई है, और यह परमेश्वर का तेरी अगुवाई के लिए होगा। मैं ऐसा क्यों कहता हूं? यदि तेरे ऊपर कोई बोझ नहीं है, तब तू परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते समय इस पर ध्यान नहीं देता है; बोझ ढोने के दौरान जब तू परमेश्वर के वचनों को खाता और पीता है, तो तू परमेश्वर के वचनों का सार समझने में सक्षम होता है, अपना मार्ग खोजो, और परमेश्वर की इच्छा के प्रति सावधान रहो। इसलिए, तुझे परमेश्वर से अपनी प्रार्थना में और अधिक बोझ मांगना चाहिए, ताकि वह तुझे बड़ी चीज सौंप सके, तू आगे अभ्यास करने के लिए बेहतर मार्ग खोजने में सक्षम हो जाएगा, तू परमेश्वर के वचनों को खाने और पीने में और भी ज्यादा प्रभावशील हो जाएगा, तू उसके वचनों के सार को प्राप्त करने में सक्षम हो जाएगा, और तू और भी अधिक सरलता से पवित्र आत्मा के द्वारा प्रेरित कर दिए जाएगा।

परमेश्वर के वचनों को खाना और पीना, प्रार्थना का अभ्यास करना, और परमेश्वर के बोझ को स्वीकार करना, उसे स्वीकार करना जो उसने तुझे सौपा है—ये सभी मार्ग को प्राप्त करने के उद्देश्य से है। परमेश्वर के आदेश के लिए जितना अधिक बोझ तेरे पास होता है, परमेश्वर के लिए तुझे पूर्ण बनाना उतना ही आसान होता है। कुछ लोग परमेश्वर की सेवा में सहयोग करने की इच्छा नहीं रखते हैं जबकि वे बुलाए गए हैं; ये आलसी लोग हैं जो केवल आराम में आनंद के इच्छुक हैं। तुझसे परमेश्वर की सेवा में जितना अधिक सहयोग करने का आग्रह किया जाता है, उतना अधिक अनुभव तू प्राप्त करेगा। क्योंकि तेरे पास अधिक बोझ है, और तू अधिक अनुभव करता है, तेरे पास पूर्ण बनाए जाने का अधिक मौका होगा। इसलिए, यदि तू परमेश्वर की सेवा सच्चाई से कर सकता है, तब तू परमेश्वर के बोझ के प्रति सावधान रहेगा, और इस तरह तेरे पास परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाये जाने के अधिक अवसर होगा। इनके जैसे मनुष्यों का एक समूह को इस समय पूर्ण बनाया जा रहा है। जितना अधिक पवित्र आत्मा तुझे प्रेरित करेगा, तू उतना अधिक परमेश्वर के बोझ के लिए सावधान होने के प्रति समर्पित होगा, तू परमेश्वर द्वारा और उतना अधिक पूर्ण बनाया जाएगा, तू परमेश्वर से उतना अधिक लाभ प्राप्त करेगा, और अंत में, तू वह बन जाएगा जिसे परमेश्वर द्वारा उपयोग किया गया है। वर्तमान में, कुछ लोग हैं जो कलीसिया के लिए कोई बोझ नहीं ढोते हैं। ये लोग सुस्त और मैले हैं, और वे केवल अपने शरीर की चिंता करते हैं। ये बहुत स्वार्थी हैं, और अंधे भी हैं। यदि तू इस मामले को स्पष्ट रूप से देखने में सक्षम नहीं होता है तो तेरे पास कोई बोझ नहीं होगा। जितना अधिक तू परमेश्वर की इच्छा के प्रति सावधान होगा, उतना अधिक बोझ परमेश्वर तुझे सौंपेगा। स्वार्थी लोग ऐसी बातों से दुःख नहीं उठाना चाहते, वे कीमत चुकाने में अनिच्छुक होते हैं, परिणामस्वरूप, वे परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने के अवसर से चूक जाते हैं। क्या वे अपना नुकसान नहीं कर रहे हैं? यदि तू ऐसा व्यक्ति है जो परमेश्वर की इच्छा के प्रति सावधान है, तो तू कलीसिया के लिए वास्तविक बोझ विकसित करेगा। वास्तव में, इसे कलीसिया के लिए बोझ कहने की बजाय, यह खुद तेरे जीवन के लिए एक बोझ है, क्योंकि जो बोझ तू कलीसिया के लिए विकसित करता है यह तेरे लिए परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने के लिए है। ऐसे अनुभवों के माध्यम से, इसलिए, जो भी कलीसिया के लिए सबसे भारी बोझ उठाता है औरजो भी जीवन में प्रवेश के लिए भी बोझ उठाता है, ऐसे लोग होंगे जो परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाएंगे। क्या अब तूने इसे स्पष्ट रूप से देखा? यदि जिस कलीसिया के साथ तू है वह गड़बड़ी में है और तू फिर भी व्याकुल या चिंतित नहीं है, यदि भाई और बहन परमेश्वर के वचनों को ठीक प्रकार से खा और पी नहीं रहे हैं और अभी तक तू आंख मूंदे हुए है, तब तू कोई बोझ नहीं ढो रहा है। ऐसा मनुष्य परमेश्वर द्वारा पसंद नहीं किया जाता। परमेश्वर को पसंद आने वाले लोग धार्मिकता के भूखे और प्यासे होते हैं और वे उसकी इच्छा के प्रति सावधान होता है। इसलिए, तुम सब को परमेश्वर के बोझ के लिए अब सावधान होना चाहिए। तुझे परमेश्वर के बोझ के प्रति सावधान होने से पहले परमेश्वर के सभी लोगों के सामने प्रकट होने वाले धर्मी स्वभाव का इंतजार नहीं करना चाहिए। क्या यह बहुत देर नहीं होगी? परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने के लिए अभी अच्छा अवसर है। यदि तू अपने हाथ से इस अवसर को निकल जाने देता है, तू अपने बाकी जीवन में खेद करता रहेगा, मूसा के समान जो कनान की अच्छी भूमि में प्रवेश नहीं कर पाया और बाकी जीवन उसने उसका खेद किया, पछतावे के साथ मरा। एक बार परमेश्वर का धर्मी स्वभाव सभी लोगों को प्रकट हो जाने के बाद, तू पछताएगा। यदि परमेश्वर तुझे दण्डित नहीं करता है, तू स्वयं को अपने खुद के पछतावे के कारण दण्डित करेगा। कुछ लोग इससे प्रभावित नहीं होंगे। यदि तू मुझ पर विश्वास नहीं करता है, तो इन्तजार कर और देख। कुछ लोग इन वचनों की पूर्णता के लिए काम करते हैं। क्या तू इन वचनों के लिए बलिदान की भेंट बनने की इच्छा कर रहाहै?

यदि तू परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने के अवसर को नहीं ढूँढता है, यदि तू अपने पूर्ण बनाए जाने का प्रयास नहीं करता है, तब तू अंततः खेद से भर जाएगा। अभी पूर्ण बनाए जाने का श्रेष्ठ अवसर है—यह श्रेष्ठ समय है। यदि तू गंभीरतापूर्वक परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने की कोशिश नहीं करता है, एक बार उसका काम सम्पन्न हो जाता है, तो बहुत देर हो जाएगी—तू अवसर से चूक जाएगा। भले ही तूने इसमें कोई प्रयास किया हो, तू कभी भी पूर्ण बनाए जाने में सक्षम नहीं होगा। तुझे इस अवसर को अवश्य धर लेना चाहिए, पवित्र आत्मा के महान कार्यों के माध्यम से सहयोग करना चाहिए, यदि तुम यह अवसर को खोते हो, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुमने कितना भी प्रयास किया है तुम्हें दूसरा नहीं दिया जाएगा। कुछ लोग चिल्लाते हैं: "परमेश्वर, मैं तेरे बोझ के लिए सावधान होने के लिए इच्छुक हूं, और मैं तुम्हारी इच्छा को संतुष्ट करने का इच्छुक हूं।" लेकिन अभी तक उनके पास अभ्यास का कोई मार्ग नहीं है, इसलिए उनका बोझ अंत तक नहीं होगा। यदि तेरे सामने एक मार्ग है, तो चरण दर चरण अनुभव प्राप्त करेगा और यह संरचित और संयोजित होगा। एक बोझ पूरा हो जाने के बाद, तुझे दूसरा दिया जाएगा। तेरे जीवन के गहरे अनुभव के साथ, तेरा बोझ भी गहरा होगा। कुछ लोग केवल तब बोझ उठाते हैं जब वे पवित्र आत्मा के द्वारा प्रेरित होते हैं, और कुछ समय के बाद, वे किसी बोझ को उठाने के इच्छुक नहीं होते जब उनके पास अभ्यास के लिए कोई मार्ग नहीं होता है। केवल परमेश्वर के वचनों को खाने और पीने से तुम बोझ का विकास नहीं कर सकते। बहुत सारे सत्य को समझ करके, तू प्रभेद प्राप्त कर पाएगा और तू सत्य के उपयोग द्वारा समस्याओं को हल करने में सक्षम बन जाएगा, और तेरे पास परमेश्वर के वचन और इच्छा की और भी सटीक समझ होगी। इन बातों के साथ, तू बोझ विकसित करेगा, और तू भले कामों को केवल तभी करना शुरू करेगा जब तेरे पास बोझ होगा। यदि तेरे पास केवल बोझ है, लेकिन तेरे पास सत्य की स्पष्ट समझ नहीं है, तो यह भी काम नहीं करेगा। तेरे पास परमेश्वर के वचनों का स्वयं अनुभव होना चाहिए, और, यह पता होना चाहिए उनका अभ्यास कैसे करना है, और इससे पहले कि तुम दूसरों के लिए प्रदान कर सको, दूसरों की अगुवाई कर सको, और परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाओ तुम्हें सबसे पहले स्वयं को वास्तविकता में प्रवेश करवाना होगा।

यह इस तरह "मार्ग... (4)" कि तुम सब लोग परमेश्वर द्वारा पीढ़ियों पहले पूर्वनिर्धारित राज्य के हो और यह तुमसे किसी के द्वारा छीना नहीं जा सकता है। यह इसे भी बताता है कि परमेश्वर की इच्छा है कि हर कोई परमेश्वर द्वारा उपयोग किया जाए, परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाया जाये, और उसे आवश्यकता है कि वह उसके लोगों के रूप में खड़ा हो सके, और कि केवल परमेश्वर के लोग बन कर ही उसकी इच्छा पूरी की जा सकती है। तुम सब उस समय इस मामले की संगति मे थे, परमेश्वर के लोगों के लिए मानदंड पर आधारित प्रवेश के मार्ग की संगति में, इसलिए उस समय पवित्र आत्मा के द्वारा जो काम किया गया वह लोगों को उनकी नकारात्मक दशा से सकारात्मक दशा में ले जाना था। उस दौरान, पवित्र आत्मा के कार्य की प्रवृत्ति सभी लोगों को परमेश्वर के वचन का आनंद उठाने देने की थी, परमेश्वर के लोगों के रूप में, और तुम सब में से प्रत्येक स्पष्ट रूप से समझ लो कि तुम सब परमेश्वर के द्वारा पीढ़ियों पहले पूर्वनिर्मित राज्य के लोग हो, और यह शैतान द्वारा छीना नहीं जा सकता। इसलिए, तुम सब प्रार्थना करते हो; "परमेश्वर मैं तुम्हारा जन होने की इच्छा करता हूं, क्योंकि हम तुम्हारे द्वारा पीढ़ियों पहले पूर्वनिर्मित किए गए हैं, क्योंकि यह तुम्हारे द्वारा हमें दिया गया है। हम इस स्थान को ग्रहण करना चाहते हैं और तुझे संतुष्ट करना चाहते हैं।" जब तुम इस प्रकार प्रार्थना करते हो, तब तुम्हें पवित्र आत्मा प्रेरित करेगा—यह पवित्र आत्मा के कार्य का चलन है। समय के इस अवधि में परमेश्वर के सामने अपने ह्र्दय को शांत रखने के लिए यह प्रार्थना और अभ्यास करना, ताकि तुम जीवन पाने की कोशिश करने में सक्षम हो और, राज्य के प्रशिक्षण में प्रवेश पाने की कोशिश करने में सक्षम हो। यह पहला कदम है। इसी क्षण, परमेश्वर का काम हर व्यक्ति को सही पथ पर प्रवेश कराने का है, ताकि हर एक सामान्य आध्यात्मिक जीवन प्राप्त हो, और हर व्यक्ति सच्चा अनुभव प्राप्त कर सके, कि हर व्यक्ति पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित हो जाए, और इस नींव पर आधारित, उसे स्वीकार करे जो परमेश्वर ने सौंपा है। राज्य के प्रशिक्षण में प्रवेश करने के कारण तुम लोगों का राज्य के प्रशिक्षण में प्रवेश करने का उद्देश्य तुम सब के प्रत्येक वचन, प्रत्येक कार्य, प्रत्येक कार्यवाही, और प्रत्येक विचार और सुझाव परमेश्वर के वचन में प्रवेश करने देताहै, तुम लोग परमेश्वर द्वारा अधिक हद तक प्रेरित हो पाओ और परमेश्वर के लिए प्रेम और परमेश्वर की इच्छा के लिए अधिक भारी बोझ उत्पन्न कर पाओ, ताकि हर व्यक्ति परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने के पथ पर हो, ताकि हर मनुष्य सही मार्ग पर हो। एक बार जब तुम परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने के पथ पर होते हो, तब तुम सही मार्ग पर होते हो। तुम्हारा मन और विचार, साथ ही तुम्हारे गलत इरादे, जब सही किए जा सकते हैं और; जब तुम शरीर के लिए सचेत होने से हटकर परमेश्वर की इच्छा के लिए सचेत होने में सक्षम होते हो और, जब गलत इरादे सामने आते हैं, तुम उन इरादों से व्याकुल नहीं होते हो और तुम परमेश्वर की इच्छा के अनुसार कार्य करते हो—यदि तुम इस प्रकार के बदलाव को प्राप्त करने में सक्षम होते हो, तब तुम जीवन के अनुभव के सही मार्ग पर हो। जब तुम्हारा प्रार्थना अभ्यास सही मार्ग पर होता है, उसी समय तुम प्रार्थना में पवित्र आत्मा के द्वारा प्रेरित किए जाओगे। हर बार जब तुम प्रार्थना करते हो, तुम पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित किए जाओगे; हर बार जब प्रार्थना करते हो तुम परमेश्वर के सामने अपने ह्रदय को शांत रखने में सक्षम होते होगे। हर बार जब तुम परमेश्वर के वचन के अंश को खाते और पीते हो, यदि तुम उसके द्वारा अभी किये जा रहे कार्य को समझने में सक्षम होते हो और यह जानने में सक्षम हो कि प्रार्थना कैसे करें, कैसे सहयोग करें औरकैसे उसमें प्रवेश करें, और परमेश्वर के वचन को खाने और पीने से परिणामों से तुमने प्राप्त किया है। जब तू परमेश्वर के वचन से प्रवेश के पथ को प्राप्त करता है, और तू परमेश्वर के कार्य की वर्तमान चाल को समझने और पवित्र आत्मा के कार्य की प्रकृति को समझने में सक्षम होगा, उसके वचनों में यह दिखाएगा कि तू सही पथ पर है। यदि तू परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते समय मुख्य बिन्दुओं को नहीं समझता है, यदि तू परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते हुए अभ्यास के लिए पथ प्राप्त करने में सक्षम नहीं होता है, तो यह दिखाता है तू अभी तक नहीं जानता कि कैसे परमेश्वर के वचन को खाया और पीया जाता है, यह दिखाता है कि तू अभी भी नहीं जानता कि उसके वचनों को कैसे खाया और पीया जाता है और तुम्हें उसके वचनों को खाने और पीने का तरीका और सिद्धांत नहीं मिला। यदि तू परमेश्वर के वर्तमान के काम को नहीं समझता, तू परमेश्वर के आदेश को स्वीकार करने में अक्षम होगा। परमेश्वर द्वारा वर्तमान में किया गया काम है जिसमें मनुष्य को प्रवेश करना चाहिए, और यह कि वर्तमान में इसका ज्ञान हो। क्या तुम सब इन बातों को समझते हो?

एक बार तुम परमेश्वर के वचनों को खाते और पीते हुए परिणाम प्राप्त करते हो और तुम्हारा आध्यात्मिक जीवन सामान्य हो जाता है, और परमेश्वर के वचनों को खाने और पीने में सामान्य हो जाता हो, सामान्य रूप में प्रार्थना करते हो, सामान्य कलीसियाई जीवन जीते हो, इसकी परवाह किये बिना कि तुझे किन परीक्षाओं का सामना करना पड़ सकता है, परिस्थितियाँ जिनका तुझे सामना करना पड़ सकता है, या शरीर की बीमारी जिसे तुझे झेलना पड़ सकता है, या भाइयों और बहनों का मनमुटाव, या तुम्हारे परिवार में कठिनाइयां, यदि तू इस बिंदु तक पहुंच सकता है, तब यह दिखाता है कि तू सही मार्ग पर है। कुछ लोग बहुत नाजुक होते हैं और उनमें दृढ़ता की कमी होती है। वे बच्चों जैसे रोने लगते है जब वे छोटी सी बाधा का भी सामना करते हैं, वे कमजोर हो जाते हैं। सत्य का अनुसरण दृढ़ता और दृढ संकल्प की मांग करता है। यदि इस समय तू परमेश्वर की इच्छा पूरी करने में अक्षम है, तुझे अपने आप से अवश्य घृणा करनी चाहिए, चुपचाप अपने दिल में दृढ़ निश्चय करने के लिए कि तू अगली बार परमेश्वर की इच्छा को संतुष्ट करेगा। यदि इस समय तू परमेश्वर के बोझ के लिए सचेत होने में अक्षम था, तुझे भविष्य में समान बाधा का सामना करने पर शरीर के खिलाफ विद्रोह के लिए संकल्पित, और तुम्हें परमेश्वर की इच्छा को संतुष्ट करना चाहिए। इस प्रकार तू प्रशंसनीय बनेगा। कुछ लोग यह भी नहीं जानते कि उनके विचार और ख्याल सही हैं या नहीं—ऐसे लोग मूर्ख होते हैं! यदि तू अपने दिल को वश में लाता है और शरीर के खिलाफ विद्रोह पसंद करेगा, तो पहले तुझे जानना होगा कि क्या तुम्हारे इरादे अच्छे हैं और उसके बाद ही तू अपने दिल को वश में कर सकता है। यदि तू अभी भी नहीं जानता कि तेरे इरादे सही हैं या नहीं, तो क्या तू अपने दिल को वश में कर सकता है और शरीर के विरोध में विद्रोह कर सकता है? यदि तू विद्रोह करता है, तो तू इसे भ्रमित रूप से कर रहा होता है। तुझे जानना चाहिए कि तेरे गलत इरादों के विरोध में विद्रोह शरीर के विरोध में विद्रोह है। जब तू जानता है कि तेरे इरादे, सोच और ख्याल गलत हैं, तो तुझे तत्काल मुड़ जाना चाहिए और सही पथ पर चलना चाहिए। तुझे सबसे पहले इस पहलू में महत्वपूर्ण खोज करनी होगी और इनमें प्रवेश करने के लिए स्वयं का अभ्यास करना होगा, क्योंकि तू बेहतर जानता है कि तेरे इरादे सही हैं या गलत हैं। जब गलत इरादे सही किये जाते हैं, और परमेश्वर के लिए होते हैं, तब तू अपने दिल को वश में करने के लक्ष्य को प्राप्त कर चुका होता है।

तुम लोगों के लिए कुंजी अब परमेश्वर का ज्ञान, परमेश्वर के कार्य का ज्ञान प्राप्त करना है और तुम्हें यह अवश्य जानना चाहिए कि पवित्र आत्मा मनुष्य में कैसे काम करता है; यह कुंजी है सही पथ पर जाने के लिए। तेरे लिए सही पथ में जाना सरल होगा जब एक बार तू इस कुंजी को समझ लेता है। तू परमेश्वर में विश्वास रखता है और और उसे जानता है, जो दिखाता है कि परमेश्वर में तेरा विश्वास खरा है। यदि तू अंत तक अनुभव जारी रखता है फिर भी परमेश्वर को जानने में सक्षम नहीं होता है, तब तू सचमुच वह है जो परमेश्वर का विरोध करता है। जो लोग केवल प्रभु यीशु में विश्वास करते हैं लेकिन आज के देहधारी परमेश्वर में विश्वास नहीं करते, वे सभी दंडित किए जाएंगे, वे फरीसियों के समान हैं, क्योंकि वे आज के परमेश्वर को मान्यता नहीं देते और वे सब परमेश्वर के विरोधी हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनका विश्वास यीशु में कितना ही समर्पित है, यह सब व्यर्थ हो जाएगा; वे परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्त नहीं करेंगे। वे सब जो कहते हैं कि वे परमेश्वर में विश्वास करते हैं, फिर भी उनके ह्रदय में परमेश्वर का सच्चा ज्ञान नहीं है, वे पाखंडी हैं।

परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने की कोशिश करने के लिए, व्यक्ति को पहले यह समझना होगा कि उसके द्वारा पूर्ण बनाया जाना क्या है, परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने में क्या शर्ते हैं और तब ऐसे मामलों की समझ हो जाने के बाद, अभ्यास के पथ को खोज। परमेश्वर द्वारा पूर्ण बनाए जाने के क्रम में एक व्यक्ति में निश्चित क्षमता होनी चाहिए। तुम में से कई लोग जरुरी क्षमता को धारण नहीं करते, जिसके लिए तुम्हें निश्चित कीमत चुकानी पड़ती है और व्यक्ति-निष्ठ प्रयास करना पड़ता है। तुम्हारी क्षमता जितनी कम होगी, तुम्हें उतना अधिक व्यक्ति-निष्ठ प्रयास करना पड़ेगा। परमेश्वर के वचनों की तुम्हारी समझ जितनी अधिक विशाल होगी और जितना अधिक तुम उन्हें अभ्यास में लाते हो, उतनी ही जल्दी तुम परमेश्वर के द्वारा पूर्ण बनाए जाने के पथ में प्रवेश कर सकते हो। प्रार्थना के द्वारा, तुम्हें प्रार्थनाओं के मध्य पूर्ण बनाया जा सकता है; परमेश्वर के वचनों को खाने एवं पीने के द्वारा, परमेश्वर के वचनों के तत्व को समझने के द्वारा, और परमेश्वर के वचनों की वास्तविकता को जीने के द्वारा, तुम्हें पूर्ण बनाया जा सकता है; दैनिक आधार पर परमेश्वर के वचनों का अनुभव करने के द्वारा, तू यह जान पाता है कि तुझमें किस बात की कमी है, और, इसके अतिरिक्त, तू अपनी दुखती रग एवं कमज़ोरियों को जान पाता है, और तू परमेश्वर को प्रार्थना अर्पित करता है, जिसके जरिए तुम्हें धीरे धीरे पूर्ण बनाया जाएगा। पूर्ण किए जाने के रास्तेः प्रार्थना करना, परमेश्वर के वचनों को खाना एवं पीना, परमेश्वर के वचनों के तत्वों को समझना, परमेश्वर के वचनों के अनुभव में प्रवेश करना, तुझमें जिस बात की कमी है उसे जानना, परमेश्वर के कार्य का पालन करना, परमेश्वर के बोझ के प्रति सचेत रहना एवं परमेश्वर के लिए अपने प्रेम के द्वारा देह का त्याग करना, और अपने भाईयों एवं बहनों के साथ निरन्तर सहभागिता करना, जो तेरे अनुभवों को समृद्ध करता है। चाहे यह सामुदायिक जीवन हो या तेरा व्यक्तिगत जीवन, और चाहे यह बड़ी सभाएँ हों या छोटी हों, सभी तुम्हें अनुभव एवं प्रशिक्षण प्राप्त करने दे सकते हैं, ताकि तुम्हारा हृदय परमेश्वर के सामने शांति से रहे और परमेश्वर के पास वापस आ जाए। यह सब कुछ पूर्ण बनाए जाने की प्रक्रिया है। परमेश्वर के बोले गए वचनों का अनुभव करने का अर्थ परमेश्वर के वचनों का वास्तव में स्वाद ले पाना है और उन्हें तुममें जीए जाने देना है ताकि तुझमें परमेश्वर के प्रति कहीं अधिक बड़ा विश्वास एवं प्रेम हो। इस तरीके से, तू धीरे धीरे भ्रष्ट शैतानी स्वभाव को निकाल देगा, तू अपने आपको अनुचित इरादों से वंचित करेगा, और सामान्य मनुष्य की समानता में जीवन बिताएगा। तेरे भीतर परमेश्वर का प्रेम जितना ज़्यादा होता है—दूसरे शब्दों में, परमेश्वर के द्वारा तुम्हें जितना अधिक पूर्ण बनाया गया है—तू शैतान के द्वारा उतना ही कम भ्रष्ट किया जाता है। अपने व्यावहारिक अनुभवों के द्वारा, तू धीरे धीरे पूर्ण बनाए जाने के पथ में प्रवेश करेगा। इसलिए, यदि तू सिद्ध किए जाने की लालसा करता है, तो परमेश्वर की इच्छा को ध्यान में रखना एवं परमेश्वर के वचनों का अनुभव करना अति आवश्यक है।

स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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