परमेश्वर के दैनिक वचन "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III" (अंश 15)

परमेश्वर के दैनिक वचन "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III" (अंश 15) 

"प्रभु यीशु के क्रूस पर ठोके जाने से पहले, थोमा ने हमेशा से सन्देह किया था कि वह मसीहा है कि नहीं, और उस पर विश्वास ना कर सका था। जो कुछ वह अपनी आँखों से देख सकता था, जो कुछ वह अपने हाथों से छू सकता था उसके आधार पर ही परमेश्वर के प्रति उसका विश्वास स्थापित हुआ था। इस प्रकार के व्यक्ति के विश्वास के विषय में प्रभु यीशु के पास एक अच्छी समझ थी। वे मात्र स्वर्गीय परमेश्वर पर विश्वास करते थे, और जिसे परमेश्वर ने भेजा है, या मसीह जो देह में था उस पर बिलकुल भी विश्वास नहीं करते थे, और उसे स्वीकार करना नहीं चाहते थे। उसे प्रभु यीशु के अस्तित्व की पहचान कराने और यह विश्वास दिलाने कि वही सचमुच में देहधारी परमेश्वर था, उसने थोमा को अपना हाथ बढ़ा कर अपने पंजर को छूने की अनुमति दी। क्या प्रभु यीशु के पुनरूत्थान के पहले और बाद में थोमा के सन्देह में कुछ अंतर था? वह हमेशा से सन्देह करता था, और उसके सामने प्रभु यीशु के आध्यात्मिक देह के व्यक्तिगत रूप से प्रकट होने, और उसे अपनी देह में कीलों के निशानों को छूने देने के अलावा, कोई उसके सन्देहों का समाधान नहीं कर सकता था, और कोई उन्हें उससे दूर नहीं कर सकता था। अतः उस समय से जब प्रभु यीशु ने उसे अपने पंजर को छूने की अनुमति दी और उसे कीलों के निशानों का एहसास कराया, थोमा के सन्देह गायब हो गए थे, और उसने सचमुच में जाना कि प्रभु यीशु मुर्दों में से जी उठा था और उसने स्वीकार किया और विश्वास किया कि प्रभु यीशु ही सच्चा मसीहा था, और यह कि वह देहधारी परमेश्वर था। यद्यपि इस समय थोमा ने आगे से सन्देह नहीं किया, फिर भी उसने मसीह से मिलने का अवसर हमेशा के लिए खो दिया था। उसके साथ इकट्ठे होने, उसका अनुसरण करने, और उसे जानने का अवसर उसने हमेशा के लिए खो दिया था। प्रभु यीशु के द्वारा उसे सिद्ध बनाए जाने का अवसर उसने खो दिया था। प्रभु यीशु के प्रकटन और उसके वचनों ने उन लोगों के विश्वास पर एक निष्कर्ष, और एक आदेश प्रदान किया जो सन्देहों से भरे हुए थे। उसने सन्देह करने वालों को बताने के लिए, और उन्हें बताने के लिए जो केवल स्वर्गीय परमेश्वर पर विश्वास करते थे किन्तु मसीह पर विश्वास नहीं करते थे अपने मूल वचनों और कार्यों का उपयोग किया था: परमेश्वर ने उनके विश्वास की भर्त्सना नहीं की, ना ही उसने उसकी तारीफ की जिनका वे अनुसरण करते थे जो सन्देहों से भरा हुआ था। जिस दिन उन्होंने परमेश्वर और मसीह पर पूर्णत: विश्वास किया था यह वह दिन था जब परमेश्वर ने अपने महान कार्य को पूर्ण किया था। निस्संदेह, यह वह दिन भी था जब उनके सन्देहों ने एक आदेश प्राप्त किया था। मसीह के प्रति उनकी प्रवृत्ति ने उनकी नियति का निर्धारण किया था, उनके ढीठ सन्देह का अभिप्राय था कि उनके विश्वास से उन्हें कोई परिणाम प्राप्त नहीं हुआ था, और उनकी कठोरता का अभिप्राय था कि उनकी आशाएँ व्यर्थ थीं। क्योंकि स्वर्गीय परमेश्वर पर उनका विश्वास भ्रान्तियों में पला बढ़ा था, और मसीह के प्रति उनका सन्देह वास्तव में परमेश्वर के प्रति उनकी वास्तविक प्रवृत्ति थी, भले ही उन्होंने प्रभु यीशु के देह के कीलों के निशानों को छुआ था, फिर भी उनका विश्वास बेकार ही था और उनके परिणाम को हवा में मुक्केबाजी करने के रूप में दर्शाया जा सकता था—व्यर्थ में। जो कुछ प्रभु यीशु ने थोमा से कहा वह हरेक व्यक्ति को भी साफ-साफ कह गया थाः पुनरूत्थित प्रभु यीशु ही वह प्रभु यीशु है जिसने प्रारम्भिक रूप से साढ़े तैंतीस साल मानवजाति के मध्य काम करते हुए बिताए थे। यद्यपि उसे क्रूस पर कीलों से ठोंक दिया गया था और उसने मृत्यु की तराई का अनुभव किया था, और उसने पुनरूत्थान का अनुभव किया था, फिर भी उसके हर एक पहलू में कोई बदलाव नहीं हुआ था। यद्यपि अब भी उसके शरीर में कीलों के निशान थे, और यद्यपि वह पुनरूत्थित हो चुका था और क़ब्र से बाहर आ गया था, फिर भी उसका स्वभाव, मानवजाति की उसकी समझ, और मानवजाति के प्रति उसकी इच्छा थोड़ी सी भी नहीं बदली थी। साथ ही, वह लोगों से कह रहा था कि वह क्रूस से नीचे आ गया था, उसने पाप पर विजय पाई थी, कठिनाईयों पर विजय पाई थी, और मुत्यु पर विजय पाई थी। कीलों के निशान शैतान पर उसके विजय के बस प्रमाण थे, जो पूरे मानवजाति को सफलतापूर्वक छुड़ाने के लिए एक पाप बलि का प्रमाण दे रहे थे। वह लोगों से कह रहा था कि उसने पहले से ही उनके पापों को ले लिया है और उसने छुटकारे का कार्य पूर्ण कर लिया है। जब वह अपने चेलों को देखने वापस आया, उसने अपनी उपस्थिति से उनसे कहाः ""मैं अभी जीवित हूँ, मैं अभी भी अस्तित्व में हूँ; आज मैं सचमुच में तुम लोगों के सामने खड़ा हूँ ताकि तुम लोग मुझे देख और छू सको। मैं हमेशा तुम लोगों के साथ रहूँगा।"" प्रभु यीशु भविष्य के लोगों को चेतावनी देने के लिए थोमा के उदाहरण का भी उपयोग करना चाहता था: यद्यपि तुम प्रभु यीशु में विश्वास करते हो, फिर भी ना तो तुम उसे देख सकते हो ना ही उसे छू सकते हो, तब भी, तुम अपने सच्चे विश्वास के द्वारा आशीषित हो सकते हो, और तुम अपने सच्चे विश्वास के जरिए प्रभु यीशु को देख सकते हो: इस प्रकार का व्यक्ति धन्य है।

ये वचन बाइबल में दर्ज हैं जिन्हें प्रभु यीशु ने तब कहा था जब वह थोमा के सामने प्रकट हुआ था और यह अनुग्रह के युग में लोगों के लिए एक बड़ी मदद है। थोमा के सामने उसकी उपस्थिति और उसके वचन का भविष्य की पीढ़ियों के ऊपर एक गहरा प्रभाव था, और उनमें चिरस्थायी महत्व है। थोमा एक ऐसे व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है जो परमेश्वर पर विश्वास तो करता है फिर भी उस पर सन्देह करता है। वे शंकालु प्रवृति के हैं, उनके पास खौफनाक मन है, वे धोखेबाज हैं, और ऐसी चीज़ों पर विश्वास नहीं करते हैं जिन्हें परमेश्वर पूर्ण कर सकता है। वे परमेश्वर की सर्वशक्ति और उसके शासन पर विश्वास नहीं करते हैं, और वे देहधारी परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते हैं। फिर भी, प्रभु यीशु का पुनरूत्थान उनके चेहरों पर एक तमाचा था, उसने उन्हें अपने सन्देह की खोज करने, अपने सन्देह को पहचानने, और अपने स्वयं के धोखे को स्वीकार करने के लिए एक अवसर भी प्रदान किया था, इस प्रकार वे प्रभु यीशु के अस्तित्व और पुनरूत्थान पर सचमुच विश्वास कर सकते थे। जो कुछ थोमा के साथ हुआ था वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक चेतावनी थी ताकि अधिक से अधिक लोग अपने आपको सावधान कर सकें कि वे थोमा के समान सन्देह ना करें, और यदि वे सन्देह करेंगे, तो वे अँधकार में डूब जाएँगे। यदि तुम परमेश्वर का अनुसरण करते हो, किन्तु थोमा के समान, तुम हमेशा प्रभु के पंजर को छूना चाहते हो और सुनिश्चित करने, प्रमाणित करने, और यह अंदाज़ा लगाने के लिए कि परमेश्वर है कि नहीं उसके कीलों के निशानों को छूना चाहते हो, तो परमेश्वर तुम्हें छोड़ देगा। अतः, प्रभु यीशु लोगों से माँग करता है कि वे थोमा के समान ना बनें, जो केवल उसी पर विश्वास करते हैं जिसे वे अपनी आँखों से देखते हैं, परन्तु परमेश्वर के प्रति सन्देहों को आश्रय ना देते हुए एक शुद्ध, और ईमानदार इंसान बनें, और केवल उस पर विश्वास करें और उसका अनुसरण करें। इस प्रकार का व्यक्ति धन्य है। यह लोगों के लिए प्रभु यीशु की एक छोटी सी माँग है, और यह उसके अनुयायियों के लिए एक चेतावनी भी है।

— ""परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III"" से उद्धृत"

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