सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनन्त जीवन का मार्ग दे सकता है"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "केवल अंतिम दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनन्त जीवन का मार्ग दे सकता है"

      सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "जीवन का मार्ग कोई साधारण चीज़ नहीं है जो चाहे कोई भी प्राप्त कर ले, न ही इसे सभी के द्वारा आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। यह इसलिए कि जीवन केवल परमेश्वर से ही आता है, कहने का अर्थ है कि केवल स्वयं परमेश्वर ही जीवन के तत्व का अधिकारी है, स्वयं परमेश्वर के बिना जीवन का मार्ग नहीं है, और इसलिए केवल परमेश्वर ही जीवन का स्रोत है, और जीवन के जल का सदा बहने वाला सोता है। जब से उसने संसार को रचा है, परमेश्वर ने बहुत सा कार्य जीवन को महत्वपूर्ण बनाने के लिये किया है, बहुत सारा कार्य मनुष्य को जीवन प्रदान करने के लिए किया है और बहुत अधिक मूल्य चुकाया है ताकि मनुष्य जीवन को प्राप्त करे, क्योंकि परमेश्वर स्वयं ही अनन्त जीवन है, और वह स्वयं ही वह मार्ग है जिससे मनुष्य नया जन्म लेता है। परमेश्वर मनुष्य के हृदय से कभी भी दूर नहीं रहा है और हर समय उनके मध्य में रहता है। वह मनुष्यों के जीवन यापन की असली ताकत है, मनुष्य के अस्तित्व का आधार है, जन्म के बाद मनुष्य के अस्तित्व के लिए उर्वर संचय है। वह मनुष्य को नया जन्म लेने देता है, और प्रत्येक भूमिका में दृढ़तापूर्वक जीने के लिये सक्षम बनाता है। उसकी सामर्थ्य के लिए और उसकी सदा जीवित रहने वाली जीवन की शक्ति के लिए धन्यवाद, मनुष्य पीढ़ी दर पीढ़ी जीवित रहता है, जिसके द्वारा परमेश्वर के जीवन की सामर्थ्य मनुष्य के अस्तित्व के लिए मुख्य आधार बनती है और जिसके लिए परमेश्वर ने कीमत चुकाई है जिसे कोई भी साधारण मनुष्य कभी भी नहीं चुका सकता। परमेश्वर की जीवन शक्ति किसी भी शक्ति पर प्रभुत्व कर सकती है; इसके अलावा, वह किसी भी शक्ति से अधिक है। उसका जीवन अनन्त काल का है, उसकी सामर्थ्य असाधारण है, और उसके जीवन की शक्ति आसानी से किसी भी प्राणी या शत्रु की शक्ति से पराजित नहीं हो सकती। परमेश्वर की जीवन-शक्ति का अस्तित्व है, और अपनी शानदार चमक से चमकती है, चाहे वह कोई भी समय या स्थान क्यों न हो। परमेश्वर का जीवन सम्पूर्ण स्वर्ग और पृथ्वी की उथल-पुथल के मध्य हमेशा के लिए अपरिवर्तित रहता है। हर चीज़ का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा, परन्तु परमेश्वर का जीवन फिर भी अस्तित्व में रहेगा। क्योंकि परमेश्वर ही सभी चीजों के अस्तित्व का स्रोत है, और उनके अस्तित्व का मूल है। मनुष्य का जीवन परमेश्वर से निकलता है, स्वर्ग का अस्तित्व परमेश्वर के कारण है, और पृथ्वी का अस्तित्व भी परमेश्वर की जीवन शक्ति से ही उद्भूत होता है। कोई वस्तु कितनी भी महत्वपूर्ण हो, परमेश्वर के प्रभुत्व से बढ़कर श्रेष्ठ नहीं हो सकती, और कोई भी वस्तु शक्ति के साथ परमेश्वर के अधिकार की सीमा को तोड़ नहीं सकती है। इस प्रकार से, चाहे वे कोई भी क्यों न हों, सभी को परमेश्वर के अधिकार के अधीन ही समर्पित होना होगा, प्रत्येक को परमेश्वर की आज्ञा में रहना होगा, और कोई भी उसके नियंत्रण से बच कर नहीं जा सकता है। परमेश्वर स्वयं ही जीवन है, सत्य है, और उसका जीवन और सत्य साथ ही साथ रहते हैं। जो सत्य को प्राप्त करने में असफल रहते हैं वे कभी भी जीवन को प्राप्त नहीं कर सकते। बिना मार्गदर्शन, सहायता और सत्य के प्रावधान के तुम केवल संदेश, सिद्धांत और मृत्यु को ही प्राप्त करोगे। परमेश्वर का जीवन सतत विद्यमान है, और उसका सत्य और जीवन एक साथ उपस्थित रहते हैं। यदि तुम सत्य के स्रोत को नहीं प्राप्त कर पाते, तो तुम जीवन के पोषण को प्राप्त नहीं कर पाओगे; यदि तुम जीवन के प्रावधान को प्राप्त नहीं कर सकते तो तुम्हारे जीवन में निश्चय ही सत्य नहीं होगा, और इसलिए कल्पनाओं और धारणाओं से दूरी होगी, तुम्हारी सम्पूर्ण देह केवल देह होगी, तुम्हारी घिनौनी देह। ध्यान रखो कि किताबों की बातें जीवन के तौर पर नहीं गिनी जाती हैं, इतिहास के लेखों को सत्य के रूप में चित्रित नहीं किया जा सकता, और अतीत के सिद्धांत आज के समय में परमेश्वर के द्वारा कहे गए वचनों का लेखा-जोखा नहीं माने जा सकते। केवल वही बात जो परमेश्वर ने पृथ्वी पर आकर और लोगों के बीच रहकर कही है, सत्य, जीवन, परमेश्वर की इच्छा है और कार्य करने का असली तरीका है। यदि तुम अतीत के युगों में परमेश्वर के द्वारा कहे गए वचनों को आज के संदर्भ में लागू करते हो, और अगर तुम अतीत के युगों में परमेश्वर द्वारा कहे गए वचनों को आज लागू करते हो, तो तुम एक पुरातत्ववेत्ता हो, और तुम्हें सबसे बेहतर ढंग से चित्रित करने के लिए ऐतिहासिक विरासत का विशेषज्ञ कहा जा सकता है। क्योंकि तुम हमेशा उन कार्यों के सुरागों के बारे में विश्वास करते हो जो परमेश्वर ने अतीत में किए हैं, केवल उन पदचिन्हों पर विश्वास करते हो जो तब के हैं जब परमेश्वर लोगों के बीच रह कर कार्य किया करता था।, और तुम केवल उसी मार्ग पर विश्वास करते हो जो परमेश्वर ने पुराने समय में अपने अनुयायियों को दिया था। आज के समय में तुम परमेश्वर के कार्य के मार्गदर्शन के बारे में विश्वास नहीं करते, महिमामय मुखाकृति में विश्वास नहीं करते, और परमेश्वर के द्वारा आज के समय में व्यक्त किये गये सत्य के मार्ग पर विश्वास नहीं करते। अत: तुम एक ऐसे दिवास्वप्न दर्शी हो जो सच्चाई से कोसों दूर है। यदि तुम अभी भी उन वचनों से चिपके रहोगे जो जीवन प्रदान करने में असमर्थ हैं, तो तुम आशाहीन और एक निर्जीव काष्ठ के समान हो। क्योंकि तुम बहुत ही रूढ़िवादी, असभ्य हो जो चीजों को तर्क की कसौटी पर नहीं कसते हो।" — "वचन देह में प्रकट होता है" से उद्धृत

आपके लिए अनुशंसित:परमेश्वर का वचन यहाँ है - जीवन और आध्यात्मिक आपूर्ति

0コメント

  • 1000 / 1000